कभी कुछ कहना भूल जाती हूं…
तो कभी कुछ पूछना…
भूलने में मज़ा तो तब आए…
जब जाते समय खुद को ही…
तेरे पास भूल जाऊ ।।।
Aashi
कभी कुछ कहना भूल जाती हूं…
तो कभी कुछ पूछना…
भूलने में मज़ा तो तब आए…
जब जाते समय खुद को ही…
तेरे पास भूल जाऊ ।।।
Aashi
ना जाने यह कैसी…
आदत लग गई…
हर इक बात को…
आपसे कहने की…
लत सी लग गई!!!
Aashi
समाए है राज़ कहीं, इन आंखों में…
बयां ना हो जाए वो कहीं, मिलाई जो नज़र आपसे…
इसलिए पलको को इनका पहरेदार बना दिया…
और आपके लिए वो हमारी हया बन गई!!!
Aashi
आँखें झुकी…तो हया बन गई,,
आँखें उठी…तो दुआ बन गई,,
आँखें उठ कर झुकी…तो अदा बन गई,,
आँखें झुक कर उठी…तो खता बन गई!!!
Aashi
आँखों ने मुझसे कहा…
आज हम रोना चाहते हैं…
प्यार के इस दर्द में…
दिल के हमदर्द होना चाहते हैं!!!
Aashi