आपका इक नशा सा हो गया हमें
रात को आपकी बातें सोने नही देती
सुबह को आपके ख़्वाब जगने नही देते
Aashi
आपका इक नशा सा हो गया हमें
रात को आपकी बातें सोने नही देती
सुबह को आपके ख़्वाब जगने नही देते
Aashi
यह कैसा फितूर छाया आपका है…
आपकी आवाज़ नशा देती है…
और आपका चेहरा बेहोश भी नहीं होने देता है!!!
Aashi
शायर तो हम कभी थे ही नहीं…
यह तो ज़िंदगी के तजुर्बों ने…
शब्दो को कुछ इस कदर मिला दिया…
कि वो शायरी बन गई!!!
Aashi
वो इंतज़ार करते रहे
हमारे कुछ कहने का
अगर एक दफा अपनी नज़रों को
हमारी नज़रों से मिला लेते
तो आज मंज़र ही क्या होता
उस इंतज़ार का !!!
Aashi
ना जाने यह कैसी…
आदत लग गई…
हर इक बात को…
आपसे कहने की…
लत सी लग गई!!!
Aashi
जुदा नही होना है
इसलिए गुडबाय मत कहना
दूर तो बेशक जाना है
पर रहना तो इसी दिल में है
Aashi
अक्सर सो जाया करते है
बस इक ही आस में
कि शायद आप हमसे
ख्वाबों में मिलने आ जाओ
Aashi
मर तो हम कबके चुके थे
यह तो सिर्फ सांसे बाकी है
जो अभी तक चल रही है
Aashi
आप जब भी याद आते हो
बेइंतहा आते हो
पर मसला यह है कि
आप हर पल याद आते हो
Aashi
हम तो बस इस डर से प्यार नहीं करते
कि अपनी ही वफाओं से
कहीं उसे बेवफ़ा न कर दें।।।
Aashi