जब से आपने पहली नज़र नज़र से मिलाई
उठती नही है यह नज़रे अब किसी और की तरफ !!
Aashi
जब से आपने पहली नज़र नज़र से मिलाई
उठती नही है यह नज़रे अब किसी और की तरफ !!
Aashi
गलती की इन निगाहों ने आपको चाहने की
तो सज़ा भी तो क्या खूब पाई
हर पल बस बरसते रहने की !!
Aashi
आज रूबरू न मिल पाए तो क्या हुआ
बंद आँखो का ख़्वाब बनकर मिल लेंगे !!
Aashi
काट लेते हैं हम
इन रातों को
अपनी आंखों को
तेरे ख्वाबों का लालच देकर
Aashi
आँखें बंद करके जब देखा
तो जितने तुम हो उससे
कहीं ज्यादा प्यारे दिखे
Aashi
कुछ ऐसी है इन आँखो की बेकरारी
कि यह देखती सबको है
मगर ढूंढती बस आपको है
Aashi
समाए है राज़ कहीं, इन आंखों में…
बयां ना हो जाए वो कहीं, मिलाई जो नज़र आपसे…
इसलिए पलको को इनका पहरेदार बना दिया…
और आपके लिए वो हमारी हया बन गई!!!
Aashi
आँखें झुकी…तो हया बन गई,,
आँखें उठी…तो दुआ बन गई,,
आँखें उठ कर झुकी…तो अदा बन गई,,
आँखें झुक कर उठी…तो खता बन गई!!!
Aashi
आँखें और बादल कुछ एक से ही है…
पानी को खुद में सिमेटते रहते है…
जब भर जाते है तो बरस पड़ते है…
फर्क केवल नज़रिए का है…
बादल बरसा तो बारिश,,,
आँखें बरसी तो आँसू!!!
Aashi
आँखों ने मुझसे कहा…
आज हम रोना चाहते हैं…
प्यार के इस दर्द में…
दिल के हमदर्द होना चाहते हैं!!!
Aashi